कुर्सी के लिए देश की इज्जत करे नीलाम,
गद्दार है ! वतन का निगहबान नहीं है |
छीनता है मुल्क के चैनोअमन को जो ,
हिन्दू नहीं- न सिख, वो मुसलमान नहीं है |
जिस गोद में जन्मा है, उसी से दगा करे ?
वह है कपूत ! देश का अपमान वही है |
धनवान है, बलवान है,सब कुछ है वह मगर,
सौ बार मैं कहूँगा - वो इन्सान नहीं है |
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