सारे अन्तः - द्वेष भुलाकर इक दूजे से गले मिलो |
तन के संग मन भी रंग डालो कीचड़ में बन कमल खिलो |
होली कहती मेरी आग में सारे भेद जला डालो |
ईद कह रही गले मिलो तो रूठे ह्रदय मिला डालो |
जन-जन में यदि प्रेम भावना का होता संचार नहीं |
तो फिर होली - ईद मनाने का हमको अधिकार नहीं |
भावपूर्ण अभिव्यक्ति...बहुत सुंदर
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