Thursday, September 9, 2010

मैं हूँ पत्थर नगीना बना दीजिये

       प्रीति की रीति इतनी निभा  दीजिये |
       मेरे आंसू हैं - मोती    बना    दीजिये |
       सिर्फ इक बार अधरों से छूकर मुझे ,
       मैं हूँ पत्थर- नगीना  बना  दीजिये |

      मुझको चाहो न इतना मैं डर  जाऊँगा | 
      दिल का शीशा जो टूटा बिखर जाऊँगा |
      गर किया दूर नज़रों से  मुझको कहीं ,
      जाऊंगा पर  न जाने    कहाँ  जाऊँगा |

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