प्रीति की रीति इतनी निभा दीजिये |
मेरे आंसू हैं - मोती बना दीजिये |
सिर्फ इक बार अधरों से छूकर मुझे ,
मैं हूँ पत्थर- नगीना बना दीजिये |
मुझको चाहो न इतना मैं डर जाऊँगा |
दिल का शीशा जो टूटा बिखर जाऊँगा |
गर किया दूर नज़रों से मुझको कहीं ,
जाऊंगा पर न जाने कहाँ जाऊँगा |
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